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कुछ बात…
कुछ बात तो ऐसे ही फिसल जाती हैजुबान के द्वारा शब्द बनकर निकल जाती है…कुछ बात मन में ही रह जाती है…तो कुछ आंखों के इशारों में कहीं जाती है… संभवतः आपके द्वारा मै इन चार पंक्तियों में ढुंढी जाती हुंकिंतु मै खुद की ही तलाश में कहीं गुम हो जाती हुं…. ©सचि मिश्रा